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शुक्रवार, 21 मई 2010

अतीत का उपवन


मेरे अतीत के किसी कोने में
एक उपवन है
कोई रंग 
कोई गंध 
हल्के  से उठा 
हौले हौले उड़ा
मुझे वहाँ ले जाती है
वहाँ के कुछ पल
आँखों में सुख के 
मोती बन जातें हैं

- नीरज कुमार झा

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