मेरा पक्ष
नीरज कुमार झा
पृष्ठ
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
▼
शुक्रवार, 6 नवंबर 2009
ख़ामोश शहर
शहर में शोर बहुत है
मगर शहर ख़ामोश है
ख़ामोश है शहर लेकिन
ख़ामोशी आवाजें लगाती हैं
सुनते नहीं लोग
क्योंकि शहर में बहुत शोर है
- नीरज कुमार झा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें