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मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

होना

जो कहता है,
वह स्वयं के होने का अहसास करता है। 
जो सुनता है,
वह दूसरों के होने का ज्ञान रखता है। 

नीरज कुमार झा 

सोमवार, 15 अप्रैल 2024

आदमी ही रह गया

वह आदमी, आदमी ही रह गया
पढ़-लिख लेता तो कुछ बन जाता
 
नीरज कुमार झा

आदतों की नैतिकता

जो सही लगे, जरूरी नहीं सही हो 
अपनी आदतों की भी नैतिकता है


नीरज कुमार झा 

A Present History of Education

A time came when imperial orders competing with each other made imperialism global. At one point, imperialism was the world, its flora and fauna, and everyone. It was a planetary hierarchical placing of people and grabbing of resources. The system globally coopted education and made it an instrument of order rather than letting it remain a passage to the humanization of human beings. A degree was meant to be a passport to a higher sphere.  It was a process of the denial of humanity to human beings. The story ends here. Is it history? 

Niraj Kumar Jha 

शनिवार, 13 अप्रैल 2024

बड़ी और छोटी बातें

बातें कुछ बड़ी
बातें छोटी बहुत सारी
दोनों के मुद्दे अलग
करने के तरीके अलग
दोनों में कुछ एक सा नहीं
बड़ी की अहमियत बहुत
छोटी की उतनी तो बिलकुल नहीं
मुझे एक दुःस्वप्न आता है
सभी लोग छोटी बातें कर रहे हैं
उन्हीं को अहमियत दे रहे हैं
संगोष्ठियों और सम्मेलनों में
टेलिविज़न और सोशल मीडिया पर
सभी छोटी-छोटी बातें कर रहे हैं
छोटे-छोटे अप्रासंगिक मुद्दे ही चर्चा में है
बड़े-बड़े प्रासंगिक मुद्दे गायब हो रहे हैं
मैं बहुत विचलित हो रहा हूँ
मेरी नींद खुल जाती है
राहत की साँस ले पाता हूँ

नीरज कुमार झा

सोमवार, 8 अप्रैल 2024

बिना कथ्य की कथा

अभिव्यक्ति अहं की तुष्टि के लिए नहीं हो
प्रयास करें कि बिना कथ्य के कथा नहीं हो
किसी को चमत्कृत करने की नहीं
कोशिश बात ईमानदारी से कहने की हो
 
नीरज कुमार झा

गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

मानवता के प्रति

स्थितप्रज्ञ है जो
मुझे लगता है
गुजरा होगा वह
गहन पीड़ा से कभी
स्थिरता का उसका मानस
सहा होगा भूचालों को
शीतलता निकाल लाया होगा
वह घोर तपन से
प्रकाश नहीं पाया होगा यूँही उसने
मथा होगा तमस को वर्षों उसने
सहज नहीं होगा
उनका ज्ञानी होना

नीरज कुमार झा