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शनिवार, 13 जून 2009

मंजिल

राह हो मुश्किल
चलना न हो मुमकिन
राही हताश न हो
राहें और भी हैं
मंजिल भी एक नहीं

न भी मिले कोई राह
तुम परेशान न हो
बस चल पड़ो
राह वही है
पहुँच गए जहाँ
मंजिल वही है

चल भी न सके
तो कोई बात नहीं
मिले न कोई मंजिल
तो भी निराश न हो
हर राह है
अपने ही अंतर की यात्रा
खुद ही हो तुम अपनी मंजिल


-- नीरज कुमार झा