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गुरुवार, 28 मई 2015

खोखला शंख

सुनकर मेरा नाद
मत देखो मेरी तरफ
किसी उम्मीद से  
मैं तो हूँ  शंख
बिल्कुल  खोखला
और बदनुमा भी
जिससे नहीं सज सकता तुम्हारा घर
बजता भी नहीं मैं  फूँकने  से
ध्वनित होता मैं यूँही
आवारा हवाओं के बहने से

  • नीरज कुमार झा

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