मौके की बात है,
कोई आखेटक है
और कोई आखेट है.
कारण है कि
हर कोई आखेट पर है,
और नृवंश निषिद्ध नहीं है.
यह तब है जब
सभी में लिखित समझौता भी है.
आवश्यकता,
जीवन और मरण वाली,
शर्तों की तार्किकता व व्यवहारिकता
और उनके क्रियान्वयन के
समझ की है.
सभी पढ़ाई-पढ़ाई कहते तो हैं
पढ़ाई का मर्म समझते नहीं हैं.
पढ़ाई से आती है समझ,
लेकिन उसके लिए आवश्यक है
कि हो पढ़ाई की समझ.
नीरज कुमार झा
कोई आखेटक है
और कोई आखेट है.
कारण है कि
हर कोई आखेट पर है,
और नृवंश निषिद्ध नहीं है.
यह तब है जब
सभी में लिखित समझौता भी है.
आवश्यकता,
जीवन और मरण वाली,
शर्तों की तार्किकता व व्यवहारिकता
और उनके क्रियान्वयन के
समझ की है.
सभी पढ़ाई-पढ़ाई कहते तो हैं
पढ़ाई का मर्म समझते नहीं हैं.
पढ़ाई से आती है समझ,
लेकिन उसके लिए आवश्यक है
कि हो पढ़ाई की समझ.
नीरज कुमार झा
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