पृष्ठ

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

मेरी बातें

अपनी बातें कहना अपना जीवित और मनुष्य होने को सुनिश्चित करना है। यह जीवन और मनुष्यता का दायित्व भी है। मैं इसलिए अपनी बातें कहता हूँ और दूसरों की सुनता हूँ।

और, जब मैं अपनी बातें कहता हूँ तो निश्चित ही मैं चाहता हूँ कि वे वार्तालाप में बदलें। हालांकि मैं बातों के अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति निर्लिप्तता का भाव भी रखता हूँ और बातों को उन्हीं के भरोसे छोड़ देता हूँ।

इस संदर्भ में मैं अपनी अपेक्षाओं को भी व्यक्त करना चाहता हूँ और वैसा ही अभी कर रहा हूँ । मैं अपनी बातों से सहमति के बजाय असहमति को अधिक पसंद करता हूँ । दूसरा, मैं चाहता हूँ कि सहमति और असहमति दोनों ही तर्कपूर्ण और/अथवा अनुभवजन्य अभिव्यक्तियों के साथ हों। तीसरा, इस संदर्भ में मैं किसी के द्वारा सहमति के कारण को स्पष्ट किए जाने के प्रति अधिक जिज्ञासु रहता हूँ । सहमति का कारण जानना मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। वास्तव में मैं अकारण सहमति को उसी तरह की असहमति से भी बुरा मानता हूँ। अंतिम, मैं वैसे व्यक्तियों और सोशल मीडिया के संदर्भ में वैसे पोस्टों को बिल्कुल पसंद नहीं करता जो दूसरों के प्रति सम्मान के भाव से रहित हों अथवा अश्लील और भद्दे हों। इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए कि सार्वजनिक मंच की, निजी सम्प्रेषण के माध्यमों से अलग, अपनी मर्यादा होती है ।

ऊपर लिखी मेरी अपेक्षाएँ आकांक्षारहित हैं। यह लिखने के बाद किसी के द्वारा गलती से भी किसी तरह के बोझ लिए जाने के लिए मैं उत्तरदायी नहीं हूँ। आप जैसे हैं, अच्छे  हैं। मेरी शुभकामनाएँ।

नीरज कुमार झा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें