तुम कहो
इसलिए नहीं कि
कोई सुनेगा.
तुम कहो इसलिए
कि कहना जरूरी है.
मुझे लगता है कि
कही कभी गुम नहीं होती.
वह तैरती रहती है हवाओं में और
घुलती रहती है सांसों में.
नीरज कुमार झा
इसलिए नहीं कि
कोई सुनेगा.
तुम कहो इसलिए
कि कहना जरूरी है.
मुझे लगता है कि
कही कभी गुम नहीं होती.
वह तैरती रहती है हवाओं में और
घुलती रहती है सांसों में.
नीरज कुमार झा
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