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गुरुवार, 11 अगस्त 2016

ठोस कालिमा

दीप अनेक जल रहे; 
अंधेरा ज्यों का त्यों है। 
यह अंधकार कुछ अलग है; 
ठोस इसकी कालिमा  है। 

नीरज कुमार झा 

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