मेरा पक्ष
नीरज कुमार झा
पृष्ठ
मुखपृष्ठ
गुरुवार, 11 अगस्त 2016
ठोस कालिमा
दीप अनेक जल रहे;
अंधेरा ज्यों का त्यों है।
यह अंधकार कुछ अलग है;
ठोस इसकी कालिमा है।
नीरज कुमार झा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें