मैंने बन्दों में ख़ुदा देखा
वे सच के ख़ुदा निकले
मैं तो खुद में खोया था
खोजकर लोग मेरे खोट गिना गए
मैं अपनी बेअक़्ली से बेहाल
लोग गुरुर मुझमें अक़्ल का होना बता गए
सफ़ाई से ख़ुद से ही झूठ बोल जाना
ऊपर वाले ये हुनर मुझे भी दे दे
ऊपर वाले तू मुझ पे भी मेहरबानी कर दे
थोड़ी बेईमानी, थोड़ा फ़रेब, थोड़ी चालबाज़ी मेरी फ़ितरत कर दे