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मंगलवार, 9 जून 2015

बेहाली के बोल


मैंने बन्दों में ख़ुदा देखा 
वे सच के ख़ुदा निकले 

मैं तो खुद में खोया था 
खोजकर लोग मेरे खोट गिना गए 

मैं अपनी बेअक़्ली से बेहाल 
लोग गुरुर मुझमें अक़्ल का होना बता गए 

सफ़ाई से ख़ुद से ही झूठ बोल जाना 
ऊपर वाले ये हुनर मुझे भी दे दे 

ऊपर वाले तू मुझ पे भी मेहरबानी कर दे 
थोड़ी बेईमानी, थोड़ा फ़रेब, थोड़ी चालबाज़ी मेरी फ़ितरत  कर दे 









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