नीरज कुमार झा
रविवार, 12 मई 2024
बौद्धिक वृत्ति कौशल
परिस्थितियों को लेकर उद्वेग, हर्ष अथवा विषादपूर्ण, बौद्धिक (लोकाचार बौद्धिकता) वृत्ति कौशल का परिचायक नहीं है। अधिकतर बुद्धिवृत्तिक यह नहीं जानते हैं कि उनके समान अन्य वृत्तिक का विचार उनसे विपरीत क्यों है, यदि वे किसी परिघटना से असन्तुष्ट हैं तो उसमें उस विचारधारा का क्या योगदान है जिसका वे परिवर्द्धन कर रहे हैं, यदि वे किसी परिघटना से संतुष्ट हैं तो वह परिघटना आगे क्या मोड़ लेने वाली है, विशिष्ट परिस्थिति और उनसे निःसृत विचारों की पृष्ठभूमि क्या है, और तमाम सामाजिक और वैचारिक विभाजनों का न्यायपूर्ण व सर्वहितकारी समाधान क्या है? यदि बुद्धिवृत्तिक क्षणिक परिस्थतियों में उलझे हुए भावावेग में है तो वे गलत वृत्ति में हैं। बुद्धिजीवी का धर्म निर्लिप्त भाव से सर्वमंगल हेतु बुद्धि प्रयोग है।
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