प्रश्न और उत्तर
उत्तर प्रश्न का अंत है। स्वाभाविक है कि प्रश्न उत्तर से बचना चाहेंगे। दूसरी तरफ, उत्तरों का भी अहं है, वे प्रश्नों से स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं । आम जीवन की सहजता के लिए प्रश्नों का अपने बने रहने की हठधर्मिता और उत्तरों की निरपेक्षता की प्रवृत्ति को पहचाना जाना जरूरी है ।
नीरज कुमार झा
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