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रविवार, 11 दिसंबर 2016

धर्म की सत्ता

सेक्यलरिज़म (सेकुलरवाद) का एकमात्र कार्यकारी अर्थ है; वह है दंडराज (राजसत्ता की प्रभुता)। राजनीति के दृष्टिकोण से इस वाद का प्रधान प्रतिपादक मैकियावेली था। उसने नैतिकता और मानवीयता से रहित राजसत्ता की पैरोकारी की, जिसे वर्चस्ववादी तत्त्वों ने राजनैतिक अभीष्ट के रूप में स्थापित कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि निरंकुश, निष्ठुर, कपट और षड्यंत्र से युक्त सत्ताएँ आज भी मानवता के लिए अभिशाप बनी हुई हैं। 
विश्व का त्राण धर्म की सत्ता की स्थापना में है। 

इसे विडम्बना कहें या त्रासदी? धर्मज्ञान के स्थान पर कुचक्र का महिमामंडन भारत में ही किया जा रहा है। 


नीरज कुमार झा

स्पष्टीकरण : धर्म से अभिप्राय ऐतिहासिक रूप से प्रतिष्ठापित  पंथ नहीं है।