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शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

मौन क्यों हो

मौन क्यों हो
बोलो तो सही
तुम नहीं तुच्छ 
मुद्दे तुम्हारे नहीं गौण
बातें बड़ी अधिकतर
मुद्दे  महान ज़्यादातर 
तिकड़मियों के बुने  मकड़जाल
जटिल और आकर्षक विन्यास
जीव फँस जान गँवाते
जाल में फँसे हो 
फ़िर भी चुप हो
कम से कम बोलो तो सही
नहीं हो सिर्फ़ निवाला
तुम हो बोलो तो सही

- नीरज कुमार झा 

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