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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

अमीरी के कटीले झाड़

बेमुरुव्वत  मरुस्थल में 
अमीरी के कटीले झाड़ 
उग रहे तेजी से चारों ओर
चोरी-चकारी
लूट-खसोट 
ठगी और बेईमानी 
का ही जोर 
हर ओर
हैं नखलिस्तान ईमान के भी 
लेकिन दीवारें खड़ी 
उनके चारों ओर 
जमीन होती यदि सही
लगते बाग एक पर एक 
एक से एक
मेहनत के फूल खिलते
उद्यम के वृक्ष उगते
साहस के तरूवर छूते आकाश 
छाया होती घनी 
सुगन्धित होती हवा 
होती खुशी
संतुष्टि 
शांति 
चारों ओर   

- नीरज कुमार झा 

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