बेमुरुव्वत मरुस्थल में
अमीरी के कटीले झाड़
उग रहे तेजी से चारों ओर
चोरी-चकारी
लूट-खसोट
ठगी और बेईमानी
का ही जोर
हर ओर
हैं नखलिस्तान ईमान के भी
लेकिन दीवारें खड़ी
उनके चारों ओर
जमीन होती यदि सही
लगते बाग एक पर एक
एक से एक
मेहनत के फूल खिलते
उद्यम के वृक्ष उगते
साहस के तरूवर छूते आकाश
छाया होती घनी
सुगन्धित होती हवा
होती खुशी
संतुष्टि
शांति
चारों ओर
- नीरज कुमार झा
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