पृष्ठ

सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

उपलब्धियाँ

मित्र नहीं कहूंगा
मेरे एक परिचित हैं
मिलने पर बताया कि
उन्होंने कार खरीद ली है और 
यह उनके  जीवन की उपलब्धि है
मुझे उपलब्धि वाली बात 
थोड़ी नहीं 
पूरी की पूरी अटपटी लगी
मेरी शिक्षा और संस्कार के अनुसार
घर या कार 
या ऐसी ही किसी भौतिक वस्तु का क्रय करना 
उपलब्धि की श्रेणी में तो कतई नहीं आता है
उपलब्धि का पैमाना
उपभोग की सामग्रियां जुटाना है 
यह समझ 
मुझे अपनी तमाम वंचनाओं के बावजूद 
बेढंगी लगती  है
हँसना चाहता हूँ 
लेकिन ऐसी उपलब्धियों की खोज में 
उन्मत्त भारी भीड़ को देखकर 
खामोश रह जाता हूँ

- नीरज कुमार झा 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें