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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

वैश्वीकरण बनाम चीनीकरण

वैश्वीकरण का घनीभूत होते जाना अपरिवर्तनीय है. समस्या यह है कि वैश्वीकरण की जगह आज विश्व का चीनीकरण हो रहा है. संतुलित वैश्वीकरण के लिए समस्त देशों की इस प्रक्रिया में विश्वास और योगदान जरूरी है. यही वैश्विक शांति और समृद्धि का रास्ता भी है. संयुक्त राज्य अमेरिका तथा अन्य विकसित पाश्चात्य देशों का वि-वैश्वीकरण की तरफ रुझान निश्चय ही लोकलुभावनवाद से प्रेरित है तथा वैश्वीकरण की प्रक्रिया में चीन को बढ़त ही दे रहा है. चीन की तीक्ष्ण शक्ति, जो नम्र और कठोर शक्ति के प्रयोग का योग है, की आंच यूरोप के लिए अब झुलसन सिद्ध हो रही है. दुनियाँ के सभी देश इस चुनौती का सामना करने का रास्ता पाने के लिए व्यग्र हैं. इस सन्दर्भ में भारतीय जनमत की अंतर्मुखी प्रवृत्ति और उदासीनता विस्मयकारी है.



नीरज कुमार झा

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