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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

क्या ऐसा भी है?

क्या ऐसा भी है कि समाधान या विश्लेषण हेतु भी समस्याएँ निर्मित की जा रही हों? पता नहीं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति पहले अपने आचरण से समस्या का कारण या निदान होता है. ऐसा भी हो सकता है कि समाधान और विश्लेषण करने वाले ही समस्याओं की निरंतरता के कारक हों. महात्मा गांधी शायद इसलिए वचन और आचरण में ऐक्य की बात करते थे.



नीरज कुमार झा

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