वर्तमान समय का प्रत्येक दिवस लोक माध्यम (सोशल मीडिया) की शक्ति का लेख करता है, जो सामान्य जन की ही शक्ति है। इस संदर्भ में प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह सतत स्मरण रखना आवश्यक है कि यह शक्ति समानुपातिक रूप से उसे स्वयं या अन्य के उस उद्देश्य हेतु संघर्ष से नहीं बल्कि प्रौद्योगिकी और पूँजीवाद से भेंट स्वरूप मिली है। जो वस्तु व्यक्तियों को स्वयं के कठिन प्रयास से प्राप्त होती है, वह सामान्यतया उसका दुरुपयोग नहीं करता है। यह वर्तमान शक्ति सामान्य लोगों को अकस्मात अत्यंत बढ़ी हुई मात्रा में मिली है और इसलिए यह स्वाभाविक है कि उनमें से अधिकांश इसकी गंभीरता को नहीं समझे। इस शक्ति के दुरुपयोग का पहला दुष्परिणाम इस शक्ति का क्षरण होगा जिसकी घोर आवश्यकता सामान्य जन को है। एक सामान्य व्यक्ति को इस पुरानी समझ को आत्मसात करना होगा कि महान शक्ति के साथ महान दायित्व का भी आगमन होता है। प्रत्येक व्यक्ति गंभीर हो, जिज्ञासु हो, और स्वयं और अन्य के प्रति उत्तरदायी हो; यह ज्ञान आज किसी भी कालखंड की तुलना में अतुलनीय रूप से अधिक प्रासंगिक है। जैसा कि एक सामान्य जन किसी भी समय की तुलना में आज अधिक प्रभावशाली है, इसलिए उसे उसी अनुपात में दायित्व बोध को भी विकसित करना होगा। अन्यथा उनका यह बल उन्हीं के लिए घातक सिद्ध होगा। संक्षेप में मात्र इतना कि लोक माध्यम पर वयस्क बालपन से बचें।
नीरज कुमार झा
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