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बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

रामकथा

रामकथा सभ्यता का संविधान है। तुलसीविरचित रामकथा जनसाधारण हेतु सभ्यता का गंगावतरण है। इस पवित्र जल का आचमन कर जन स्वयं को सनातन आदर्शों से सिंचित करते रहे हैं। तुलसी के भाव और भाषा में सर्वमंगल के सूत्र हैं। गोस्वामी के वचनों के सरल भावार्थ का अनर्थ उपनिवेशी और वाम बोधप्रणाली की प्रधानता के कारण हुआ है। इस ग्रंथ की अवमानना समाज में व्याप्त बौद्धिकता और व्यवस्था की त्रासदी है। बौद्धिकता के वामीकरण का और क्या परिणाम हो सकता है?

नीरज कुमार झा

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