सीमा किसी की नहीं,
असीम भी कुछ नहीं है।
असीम भी कुछ नहीं है।
कहीं प्रारंभ नहीं,
अंत भी कहीं नहीं है।
कोई अंश नहीं,
सम्पूर्ण भी कुछ नहीं है।
घटित कुछ नहीं,
अघटित भी कुछ नहीं है।
कुछ सदा मृत नहीं,
अमृत सदा भी कोई नहीं है
नहीं कुछ भी नहीं है,
न-नहीं अस्तित्व है।
अंत भी कहीं नहीं है।
कोई अंश नहीं,
सम्पूर्ण भी कुछ नहीं है।
घटित कुछ नहीं,
अघटित भी कुछ नहीं है।
कुछ सदा मृत नहीं,
अमृत सदा भी कोई नहीं है
नहीं कुछ भी नहीं है,
न-नहीं अस्तित्व है।
नीरज कुमार झा
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