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मंगलवार, 10 नवंबर 2009

बिग बाँस सीज़न थ्री

सबसे ज़्यादा अखरती है इस तरह के शो की सफलता. टेलीविजन से चिपके रहने वालों में ज्यादातर मध्यवर्ग के एकाकी परिवार हैं - समाज तथा परिवेश से कटे हुए. उनमें से बड़ी संख्या उन परिवारों की है जो साधनहीन हैं तथा सार्वजनिक जीवन के घटियापन के कारण अपमान तथा असुरक्षा की जिंदगी जीने को बाध्य हैं. मध्यवर्ग के सामान्य व्यक्तियों का बौद्धिक स्तर भी अमानक शिक्षाप्रणाली के कारण निम्नस्तरीय है और  उनकी बौद्धिक अभिरुचियाँ अल्प हैं. ऐसे में टेलीविजन के स्तरहीन कार्यक्रम ही अधिकतर उन्हें आकर्षित करते हैं. इस तरह के फूहड़ कार्यक्रमों की सफलता जीवन के खोखलेपन और उच्चतर मूल्यों से अलगाव का प्रतिबिम्बन करती है.
नीरज कुमार झा, "ऊँचे लोग नीची बातें," बी पी एन टुडे, ग्वालियर,  २/२, १६ नवम्बर  २००९, पृ.  ५८/५८-५९.

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