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बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

आँखें

उथली आँखें लोलुपता की
धंसी बेचारगी की आँखें
सही जगह की आँखें
बेपरवाही की
आँखें  दे रहीं गवाही
आज की हालात के

- नीरज कुमार झा 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. बहुत ही प्यारी कविता !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान

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