अस्तित्व का अर्थ समझना
संभव नहीं,
यह तय है।
अस्तित्व का कोई सत्य नहीं,
यह विचित्र सत्य है।
अर्थहीनता के इस अनादि अनंत विस्तार में
विचरता हमारा विवेक भयाकुल है।
भयाकुल मन रचता है
कल्पना का सच।
लेकिन सच की कल्पना का संबल
जो है
जो हमारी जद में है
कभी-कभी उसे ही उजाड़ देता है।
यह नहीं होना चाहिए।
- नीरज कुमार झा
संभव नहीं,
यह तय है।
अस्तित्व का कोई सत्य नहीं,
यह विचित्र सत्य है।
अर्थहीनता के इस अनादि अनंत विस्तार में
विचरता हमारा विवेक भयाकुल है।
भयाकुल मन रचता है
कल्पना का सच।
लेकिन सच की कल्पना का संबल
जो है
जो हमारी जद में है
कभी-कभी उसे ही उजाड़ देता है।
यह नहीं होना चाहिए।
- नीरज कुमार झा
bilkul sahi kaha hai aapne ..sundar bhavabhvyakti .
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