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मंगलवार, 18 जुलाई 2017

भारत का लक्ष्य मात्र एक महाशक्ति बनना नहीं हो सकता है। इसका कारण है कि भारत को प्रत्यक्ष चुनौती उस सभ्यता और राष्ट्र से मिल रही है जो अत्यन्त व्यवस्थित तरीके से विश्व की प्रथम शक्ति बनने के लिए एक लम्बे समय से क्रियाशील है और कई क्षेत्रों में यह देश अपने सर्वोच्च स्थान को निर्विवाद रूप से स्थापित कर चुका है। इसके साथ ही भारत का कट्टर शत्रु और विश्व का सबसे बड़ा उपद्रवकारी देश भी उससे जा मिला है। भारत परमशक्ति बनकर ही सभ्यता के इन शत्रुओं का प्रभावी प्रतिकार कर सकता है। अन्यथा, भारत की अस्मिता, प्रतिष्ठा, सुरक्षा, और सम्प्रभुता सभी हमेशा खतरे में रहेंगी। हमारे पास विकल्प मात्र यही है कि हम परमशक्ति बने या एक आक्रांत देश के रूप में अपनी नियति को कोसते रहें।

भारत को परमशक्ति बने, इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक भारतीय की मेधा और क्षमता चरम पर हो। इस हेतु प्रत्येक नागरिक के प्रतिभा, शौर्य, और उद्यम को पराकाष्ठा तक ले जाना होगा। हर भारतीय वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठता का प्रदर्शन कर सके, ऐसी हमारी नीति हो।


नीरज कुमार झा

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