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गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

मानवता के प्रति

स्थितप्रज्ञ है जो
मुझे लगता है
गुजरा होगा वह
गहन पीड़ा से कभी
स्थिरता का उसका मानस
सहा होगा भूचालों को
शीतलता निकाल लाया होगा
वह घोर तपन से
प्रकाश नहीं पाया होगा यूँही उसने
मथा होगा तमस को वर्षों उसने
सहज नहीं होगा
उनका ज्ञानी होना

नीरज कुमार झा

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