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शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

बिहार में चुनाव

पांच साल पहले बिहार को  डेढ़ दशकों के अंधकार युग से छुटकारा मिला था. अब पुनः बिहार के समक्ष परीक्षा की घड़ी आ गयी है.  इन पांच वर्षों में बिहार की छवि सुधरी है और बिहार की स्थिति में  सुधार भी आया है लेकिन साथ ही यह समझना जरूरी है कि इस अवधि में भी पुरानी व्यवस्था ही कार्यशील रही है. इस दौर में बिहार पतन के गर्त्त से बाहर निकला लेकिन यह परिवर्तन  किसी नई सोच का परिणाम नहीं है. यह पुरानी व्यवस्था को ही ठीक से चलाने का एक अच्छा प्रयास था. बिहार की आवश्यकता नवीन सोच को लाने की है. नयी व्यवस्था की आवश्यकता को समझने  के लिये हमें विश्व में हो रहे परिवर्तनों को समझना होगा. इस वैश्वीकरण के दौर में  समाज को सरकारी सहायता से चलने के बजाय अपने पैरों पर चलना सीखना जरूरी है. समाज रूढ़ियों, दकियानूसी और व्यवस्था की जंजीरों से अनधीन हो प्रत्येक व्यक्ति को अपना रास्ता ख़ुद तय करने दे और उसे उन बुलंदियों को हासिल करने दे जिसके वह काबिल है. शासन की भूमिका मात्र समाज के सहायक की होनी चाहिए. जनतांत्रिक व्यवस्था में यही विकास का मार्ग हो सकता है.  

इस चुनाव में बिहार के शिक्षित और सुधी नागरिकों के लिये निर्णय लेना आसान नहीं होगा. पिछले चुनाव में उनका ध्येय साफ़ था - पंद्रह साल के जंगल राज का सफाया. अब चुनौती  दुहरी है. पहली तो यह कि जंगल राज की वापसी रोकनी है. दूसरी चुनौती है शासन की गुणवत्ता में सुधार. अब लोगों को हर चुनाव क्षेत्र में उम्मीदवारों की योग्यता और उनकी पृष्ठभूमि को ध्यान  में रखना होगा. हर व्यक्ति को इस बात के लिये सजग होना होगा कि राजनीति के अति दूषित क्षेत्र में  उपलब्ध उम्मीदवारों में जो सबसे कम बुरा हो उसे अपना समर्थन दें बिना इस बात को ध्यान दिए  कि वह जीत सकता है  या नहीं. पहला मानदंड है कि ग़लत दल को समर्थन नहीं देना है  और दूसरा कि सही दल के गलत उम्मीदवार को भी मत नहीं देना है. हमारा मत भले ही उम्मीवार की जीत में न बदले लेकिन हमारा मत हमारी हार में तो किसी भी स्थिति में नहीं बदलनी चाहिए. बिहार के उदारवादी नागरिकों को, जो  जात-जमात तथा अन्य संकीर्ण सोच और स्वार्थ से हटकर सोच सकते हैं, इस बार मतदान करने से न चूकना चाहिए और न ही चुनावी प्रक्रिया से उदासीन रहना चाहिए. उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि  असामाजिक तत्व तथा संकीर्ण सोच के लोग अपनी कुत्सित मानसिकता के साथ  जनतांत्रिक प्रक्रिया में ज्यादा सक्रिय हैं. 

1 टिप्पणी:

  1. बढिया विश्लेषण! बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

    फ़ुरसत में …बूट पॉलिश!, करते देखिए, “मनोज” पर, मनोज कुमार को!

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