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रविवार, 17 अक्टूबर 2010

चिट्ठाकारी : परिवर्तन का महती मंच

  • ब्लॉगिंग या चिट्ठाकारी सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदत्त ऐसा  मंच है जो देश और दुनियाँ को बदलने की अभूतपूर्व क्षमता रखता है. यह बिलकुल सहज, सुगम और सबसे बड़ी बात लोकतान्त्रिक मंच है. यहाँ लेखक ही प्रकाशक है और तत्क्षण अन्य लोगों को अपनी सृजनात्मकता से अवगत करा सकता है. समानता पर आधारित संवाद का यह मंच समस्त मानवता को एक साथ उपलब्ध है. यह भातृत्व का तथा बिना किसी मध्यस्थ या मठाधीश के प्रत्यक्ष कथन और प्रदर्शन का माध्यम है. दूसरे शब्दों में, यह संप्रभु अभिव्यक्तियों का मंच है. यह अभिव्यक्ति के अधिकार की पराकाष्ठा है.
  • अभी इस माध्यम को उस गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है जिसका यह हकदार है. पहला कारण तो इसका नयापन है. दूसरा, यह जमे-जमाये किलादारों के वर्चस्व को चुनौती देता है और इसलिए वे इसे नकारने की कोशिश कर रहे हैं. वह समय दूर नहीं कि इन समस्त माध्यमों का एकीकरण होगा जिसमें अभिव्यक्ति की इस विधा की प्रधानता तय है. 
  • यह मंच हमें वह हथियार भी देता है जिससे हम उन  लोकविरोधी ताक़तों का प्रतिकार कर सकते हैं जो जनमत निर्माण के अभिकरणों पर धन और शक्ति के द्वारा काबिज हैं. मेरा विश्वास है कि यह मंच  क्षुद्र लोगों के महिमामंडन को भी रोकेगा और मानवता  की गरिमा को बहाल कर सामान्य जन को सशक्त बनाएगा. मेरी यह अपेक्षा है कि तमाम शिक्षित और सुधी जन इस मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें. 
  • यह मंच हमें सर्वव्यापक अभिव्यक्ति का मंच देता है. यह हमें अवसर  देता है जिसके लिये आज तक की  तमाम पीढ़ियों के लोग तरसते रहे. अब हम इस मंच का उपयोग करें और भरपूर करें, मगर सावधानी से करें. यह सुविधा हमारे दायित्व का भी उसी अनुपात में विस्तार करती है. अभिव्यक्ति के उचित अधिकारी बनने के लिये हमें गाम्भीर्य, सभ्यता और सबसे ऊपर ज्ञान से युक्त होना होगा. 
  • मैं इस बात को स्वीकार करूंगा कि मैंने  लोगों के चिट्ठों  पर ऐसी पंक्तियाँ पढ़ी जिनसे मेरे सोचने की पूरी धारा ही बदल गयी. यह ज्ञानार्जन और संवेदना के परिष्कार का अद्भुद साधन है. ज्ञान और संवेदना अन्योन्याश्रित हैं और ज्ञान की कमी ही हमें असंवेदनशील बनाती है और संवेदनशीलता ही हमें ज्ञान की तरफ़ प्रेरित करती है. हम सब एक-दूसरे के परिष्कार के लिये और बेहतर ढंग से प्रयत्नशील हों, इसी भावना के साथ सादर. 
- नीरज कुमार झा 

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया पोस्ट. व्यवहार में लाने की ज़रूरत है बस.
    विजयादशमी की अनन्त शुभकामनायें.

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  2. प्रिय मित्र नीरज जी ..
    आपने ब्लॉगिंग के उद्देश्य और उसकी परिकल्पना को सार्थक करती हुई पोस्ट लिखी है ...भविष्य के लिए शुभकामनाएं । विश्वास रखिए आने वाला समय ब्लॉगिंग का ही होगा ..

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  3. आपको इस कार्य के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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