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शनिवार, 13 अगस्त 2011

मालिक मेरे कुत्ताजी

चोरी की बढ़ती वारदातों को लेकर मैं परेशान था
दोस्तों ने सलाह दी 
मैंने एक कुत्ता पाल लिया 
शुरू में उसने कुछ संदेहास्पद लोगों को देखकर तेवर दिखाए 
लेकिन यह कुछ ही दिन चला
अब वह सारे रूआब मुझ पर ही झाड़ता है 
वह मेरे बिछावन पर लेटता है 
मेरी कुर्सी  पर बैठता है
म्रेरे भोजन का बड़ा हिस्सा 
मुझसे पहले डकार जाता है
और मैं यदि विरोध करूँ  तो 
मुझ पर गुर्राता है 
मैं एक दिन पूछ ही बैठा 
मालिक तू है या मैं 
कुत्ते ने कहा 
मैं हूँ मालिक 
मैं हैरत में पड़ गया 
वह कैसे 
तू काम करता है 
हाँ 
मैं काम करता हूँ 
नहीं 
कौन मालिक हुआ 
तुम 
मेरा नाम सम्मान से ले 
क्या कहूँ आपको 
मालिक मेरे कुत्ताजी 
ठीक है मालिक मेरे कुत्ताजी
मैं उसके तगड़े जबड़ो से झांकते 
मजबूत दांतों को देखकर सहम गया था
खाना तो आप मेरा दिया खाते हैं 
यह तेरा भ्रम है 
कैसे 
मैं पहले खाता हूँ 
हाँ 
तू मेरा छोड़ा खाता है 
हाँ 
फिर बता कौन किसको खिलाता है 
आप मुझे खिलाते  हो 
लेकिन काम तो मैं अपना करता  हूँ 
यह भी तेरा भ्रम है 
काम भी तू मेरी वजह से कर पाता है 
वह कैसे 
मैं सुबह-सुबह तुझ पर भूँकता हूँ 
तभी तो तू काम पर जाता है 
और काम कर पाता है 
हाँ मालिक मेरे कुत्ता जी 
मेरे पास कोई चारा नहीं था 
कुछ दिनों के बाद तो उसने अति कर दी 
उसने सर पर चमकने वाला सीसा बाँध लिया 
और चलते वक्त सीटी बजाने लगा 
अब यह क्या है 
समझा नहीं 
सिटी जैसे मैं बजाऊँ तू जहाँ  का तहाँ  खड़ा हो जा 
संडास भी जा रहा तो बिलकुल ठहर जा 
कुछ भी करूँगा तो मैं पहले करूँगा  
जब तक मैं कुछ करूँगा
तू कुछ नहीं करेगा और चुपचाप रहेगा 
मेरी अक्ल अब ठिकाने लग चुकी थी 
मालिक मेरे कुत्ताजी 
कहकर मैंने सलाम बजाया 
शाबाश 
शाबाशी पा 
सच कहूँ मुझे अच्छा लगा 
मजे से मैं 
घर के कोने में उसका  जूठन खाने बैठ गया

- नीरज कुमार झा 





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