यह अहसास नहीं हो पाता, क्योंकि इस प्रक्रिया को हम जी रहे हैं, कि हम एक विश्वव्यापी और अभी तक की विश्व की सबसे बड़ी क्रांति के दौर से गुजर रहे हैं। और, हम जितना सफर कर चुके हैं, उसका प्रभाव हमारे जीवन पर पूर्व की अनेक क्रांतियों से ज्यादा हो चुका है। साथ ही यह भी तथ्य है कि यह शुरुआत भर है।
यह क्रांति हिंसा पर आधारित नहीं है लेकिन इसके सभी आयाम निरापद नहीं हैं और होंगे भी नहीं। साथ ही यह नए अवसरों और चुनौतियाँ को भी ला रही है और लाएगी। संतुलन में इसकी दिशा सकारात्मक और लोकहित में रहे इसके लिए समझ और निर्दिष्ट प्रयासों की आवश्यकता होगी।
एक नई दुनिया सामने है, जिसके बारे में हम नहीं जानते हैं और इसलिए इसके हेतु अधिक तैयारी की जरूरत है। इसके लिए जो हम निश्चित रूप से कर सकते हैं और करना चाहिए कि हम में से प्रत्येक योग्यता, क्षमता, सजगता, जिज्ञासा, सक्रियता, स्वायत्तता, आत्मनिर्भरता के विस्तार हेतु प्रयासरत रहे, जितना हो सके।
नीरज कुमार झा
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