नीरज कुमार झा
रास्ता पकड़ो
और सुनो रास्ते का कहना
यह बताता है सच का मतलब
और मतलब का सच
अहम् यही है पैरों के नीचे
और कहीं भ्रम अधिक है
नहीं है यह स्थिर और न ही मूक
यह बताता है और ले जाता है
वहाँ जो तुम्हारा है गंतव्य है उचित
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