पृष्ठ

सोमवार, 20 जून 2022

फ्यूडलिज़म अथवा ढोरवाद

फ्यूडलिज़म शब्द की व्युत्पति के अनुसार इस शब्द का भारती में समानार्थक शब्द ढोरवाद बनता है। फ्यूडलिज़म के समांतर सामंतवाद शब्द का प्रयोग दोषपूर्ण है, क्योंकि दोनों ही व्यवस्थाएँ सर्वथा भिन्न थीं। पाश्चात्य जगत में ढोरवाद के काल को उनके इतिहास का मध्यकाल कहा गया है। ये अलग तथ्य है कि उन्होंने अपने इतिहास के कालविभाजन को विश्व की तमाम सभ्यताओं पर आरोपित कर दिया। अब पाश्चात्य जगत में आधुनिक युग की त्रासदी की बात करते हैं। पाश्चात्य जगत में भले ही आधुनिक युग ढोरवादी काल के बाद आया लेकिन ढोरवाद समूहवादी वैचारिकी के छद्मावरण में इस काल में भी बना रहा और शेष दुनियाँ में प्रसारित होता रहा। आधुनिकता मानवतावाद का युग है। इस व्यवस्था के केंद्र में व्यक्ति होता है लेकिन इस कालखंड में भी व्यक्तिवाद को नकारती समूहवादी विचारधाराएँ पाश्चात्य जगत में उत्पन्न होती रही, जो यूरोप और दुनियाँ के अन्य भागों में मानव जीवन की मानव सृजित त्रासदियों का प्रधान कारक रही हैं।

नीरज कुमार झा




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें