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शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

चतुराई

जिन्हें  तुम समझते मूर्ख 

वे तुम्हें मानते मूढ़ 

तुम बांटते ज्ञान

समझते स्वयं को ज्ञानी 

तुम्हें नहीं पता 

नहीं कोई कृपण

तुम ऐसा समझते हो 

लोग तुम्हें सुनते हैं

सच यह है कि वे मात्र  स्वयं को सुनते हैं 

तुम मात्र उनके भोंपू हो 

तुम भी उन्हें नहीं सुनते 

असल यह है 

तुम भी चतुर 

वे भी चतुर 

दरअसल जरूरी है 

सभी का आपस में बातें करना 


नीरज कुमार झा 


 



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