बढ़ती मानवता की आधुनिकता का चरण यूरोप में पड़ा। इस चरण-धूलि का दुरुपयोग दुष्टों ने दुनिया को गुलाम बनाने के लिए किया। खुद भी अछूते नहीं रहे। युद्धों के द्वारा अपने महाद्वीप को तहस-नहस करते रहे। अपने कब्जे वाले इलाकों में वे आधुनिक तंत्र का उपयोग तो करते रहे लेकिन आधुनिकता के मंत्र को छुपाए रखा। तर्क को रहस्यों और मानव को समूहिकता से ढके रहे। उन्होंने भारतीयता का भी अपने हित के अनुसार विरूपण किया। उनके कुचक्र को तोड़ना शेष है।
नीरज कुमार झा
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