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मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

दर्शन नहीं रहे रहस्यों की भूल भुलैया

दर्शन नहीं हो रहस्यों की भूल भुलैया 
न हो महानता का मंत्र 
न ही हो यह पारलौकिकता का यंत्र 
और न ही उद्धार का महासूत्र 

हो यह जीवन की समझ 
हो यह कष्टों से त्राण का उपक्रम 
बने यह अभय का विधान 
दे यह स्थिरता और निश्चितता का तंत्र 
  
ध्यान में चराचर की  मर्यादा रहे 
ध्येय प्राणिमात्र की गरिमा का प्रतिष्ठापन हो 
संवेदना इसकी श्वास हो 
प्रेम बने  इसका स्पंदन  

दर्शन को जमीन से जोड़ना होगा 
जीवन की पीड़ाओं, आशाओं, आकांक्षाओं को इसे सुनना होगा 
दार्शनिकों को अंतर की उलझनों से 
बाहर की बनावटों से निकलना होगा 

दर्शन नहीं हो सकता यान के वातायन से आपदाग्रस्तों का निरीक्षण 
न ही हो सकता सितारा सरायों में ठहर कर लोकाचार का पर्यवेक्षण 
इसे घुटन को महसूसना होगा 
जीवन के संघर्षों का भागीदार इसे बनना पड़ेगा 

यह खिलखिलाते फूलों को सहेजे  
सराहना करे झुलसे चेहरों पर लोटती हँसी की भी 
करे सबको स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजग 
सुनिश्चित करे सर्वसुलभ सुगंध की वाटिकाएँ  व सौन्दर्य के विहार 
  
मंत्र एक पुराना है 
इसे जीवन में लाना होगा 
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्

नीरज कुमार झा



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