सच जीतता है,
यह जानकर
निश्चिन्त हो जाना
झूठ की जीत का
रास्ता साफ़ करना है।
सच जीतता है
नहीं अपने आप।
सच में नहीं है
चमत्कार की शक्ति।
सच जीतता है
क्योंकि लोग लड़ते हैं सच के लिये,
और कर देते सब कुछ न्योछावर।
रामायण और महाभारत
महाग्रंथो का
यही है सन्देश।
सच की रक्षा के लिये
धरा पर आना पड़ा स्वयं ईश को।
सच की राह होती यदि आसान
तो नहीं करना होता क्रंदन
भगवान को
बैठ निकट मूर्च्छित लक्ष्मण के।
नहीं उठा रथ का टूटा पहिया रण में
दौड़ना पड़ता आक्रोशित कृष्ण को।
सच माँगता है अनवरत संघर्ष,
निरंतर सतर्कता,
और सबसे ऊपर
प्रखर विवेक,
क्योंकि झूठ बिलकुल सच की तरह होता है;
झूठ जीतता भी है,
और सच के नाम पर राज भी करता है।
जीते झूठ को सच मान लेना
हारे सच को दफ़न करना है।
सच की पहचान
सच के जीत की
पहली शर्त है।
- नीरज कुमार झा