मेरा पक्ष
नीरज कुमार झा
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शुक्रवार, 21 मई 2010
अतीत का उपवन
मेरे अतीत के किसी कोने में
एक उपवन है
कोई रंग
कोई गंध
हल्के से उठा
हौले हौले उड़ा
मुझे वहाँ ले जाती है
वहाँ के कुछ पल
आँखों में सुख के
मोती बन जातें हैं
- नीरज कुमार झा
1 टिप्पणी:
बेनामी
21 मई 2010 को 8:13 pm बजे
सीधी सादी प्रस्तुति सुखद और सुंदर लगी
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