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मंगलवार, 4 मई 2010

हमारे जो चले गए

हमारे जो चले गए
इतिहास क्या
अतीत भी न बन पाए
हमने उनकी यादों को
दफ़न किया ऐसे
जहन में  हमारी
वे झाँक भी न पाए
विरासतें रही होंगी उनकी
हम वारिसों की बेपरवाही से
गुम हो चुके वे भी  कहीं
छोड़ो उनकी जो चले गए
हमारा ही  क्या
होकर भी हम कहाँ हैं
अतीत क्या और इतिहास क्या
हमारा तो वर्तमान ही नहीं

- नीरज कुमार झा

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