उस दिन
जलेंगे साँझ दिए घी के घर-घर
उस दिन
मुंह मीठा कराएंगे एक-दूजे का जन-जन
उस दिन
सभी करेंगे शुभ-कर्म अनेक
उस दिन
नवयुग का होगा आरंभ
उस दिन
सर्व-मंगल का होगा नाद
उस दिन
संकल्प सत्य-निष्ठता का होगा नवीकृत
उस दिन
मानवता होगी साकार
उस दिन
जीव-जगत की गरिमा होगी मूर्त
उस दिन
सत्य सभ्यता पुनर्नवा होगी
उस दिन
विराजेंगे राम लला नवभवन
उस दिन
अब दूर नहीं
वह दिन
नीरज कुमार झा
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