विद्याओं में महत्वपूर्ण अपनी तंत्रिका-कोशिकाओं के संदेशों का पारिस्थितिकीय पाठ, और उसके क्यों और कैसे को व्यक्त करने हेतु विपुल-शब्द भंडार का संग्रह है। जरूरी है यह समझ कि अपनी ही पीड़ा-हर्ष, भय-उल्लास, तथा द्वेष-अनुराग की वस्तुनिष्ठ समझ व्यक्ति की ज्ञान-मीमांसा की सबसे बड़े चुनौती है।
नीरज कुमार झा
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