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रविवार, 26 नवंबर 2023

विश्वतंत्र

विश्व तंत्र में यह युगांतकारी संक्रमण का दौर है। पिछली सदियों के शक्तिशाली राजनीतिक निकायों का पराभव और नवीन शक्तियों का उद्भव हो रहा है। इससे दुनिया के भूराजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। चूँकि दुनिया के राजनीतिक कार्यवाह इस असामान्य परिस्थिति से अवगत हैं, वे अपनी स्थिति को संभालने या सुधारने में लगे हैं। जिन कारकों को वे दृष्टिगत कर रहे हैं, उनमें नवीन प्रौद्योगोकियों के दूरगामी प्रभाव अज्ञात हैं। एक स्थायी नए विश्व तंत्र की संरचना अभी बनने के दौर में है और इसका अंतिम स्वरूप आने में समय लगेगा।
 
इन बनते समीकरणों में भारत की स्थिति पूर्व की तुलना में काफी सुदृढ़ है। इस संदर्भ में सामान्य नागरिकों को दुनिया के घटनाक्रमों को समझने और उनपर चर्चा करने की जरूरत है। जनतान्त्रिक देशों की राजनीतिक संस्कृति में नागरिकों की भिज्ञता और चेतना की भूमिका निर्णायक होती है, जो राजनीतिक कार्यवाहों के क्रिया-कलापों की दशा और दिशा को निर्धारित करती है। यदि नागरिकों का राजनीतिक ज्ञान और सरोकार उच्चस्तरीय होगा तो अवश्य ही भारत अग्रणी देशों में अपना स्थान और ऊँचा कर पाएगा और सामान्य नागरिकों की स्थिति भी और अच्छी हो सकेगी।
 
नीरज कुमार झा

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