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रविवार, 14 जुलाई 2024

अनादि से अनंत

रास्ता ही है 
मंजिल नहीं है
लगी है भीड़ फिर भी
मार्गदर्शकों की

चलना ही है
पहुँचना नहीं है कहीं
अबूझ है 
पथप्रदर्शकी 

नीरज कुमार झा

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