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मंगलवार, 30 जुलाई 2024

आभासी आपण

जीने के लिए संघर्ष करते लोग 
सबसे बड़े बाजार हैं 
फ़साने-तमाशों के 
वे खरीदते हैं 
खून-पसीने की कमाई से 
आभासी उपलब्धियाँ और गौरव 
उनका अपना  कुछ नहीं होता 
देखते सपने भी किराए से 

नीरज कुमार झा 





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