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शुक्रवार, 23 जून 2023

दुःख और सुख

बुद्ध ने अंगुलीमाल को समझाया था
जीवन दु:खों से भरा है ।
इसे बढ़ाना बहादुरी नहीं है,
इसे कम करना है।

सहानुभूति और स्वानुभूति से युक्त होना
मानव होना है।
घृणा जीत लेना ही प्रज्ञ होना है।
किसी की पीड़ा को कम कर देना वीरता है,
दु:ख को हर लेना पराक्रम है।

सच तो यही है:
दु:ख प्रदत्त है, सुख सत्प्रयत्न  है।
अर्थ सुविधाएँ जुटाने का माध्यम है
सुख तो मानवता का संबंध ही है।

जीवन तो दु:ख ही है,
सुखविस्तार जिजीविषा हो;
कोई दु:ख व्यर्थ नहीं जाए,
प्रत्येक हमारे सुख के उद्यम की प्रेरणा बने;
ऐसी हम कामना करें,
प्रार्थना करें।

नीरज कुमार झा



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