पौष शुक्ल पक्ष १२, २०८०
अयोध्या में आज कालातीत एवं कालिक के संगम का सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूर्त रूप में जीवंत होना पौष शुक्ल पक्ष - १२, २०८० को विलक्षण दिवस बनाता है। यह सम्पूर्ण मानवता के अपूर्व मंगल का युगारंभ है। प्रभु और भारत के चिरंतन सम्राट श्रीराम के प्रति समर्पण और निष्ठा की अनुभूति आज हर भक्त की पूर्णता है।
यह दिवस भक्ति और धर्म, अलौकिक प्रज्ञा और लौकिक विवेक, आस्था और सौहार्द, सौन्दर्य और सुगमता, एवं ऐश्वर्य और कल्याण की एकरूपता के उत्सव तथा तदनुरूप नवजीवन के उद्गम का कालखंड है।
यह दिवस भारतीयों को भ्रम और भटकाव से दूर होने की प्रेरणा देता है। भारतीय अपने विवेक, उद्यम और शौर्य से संस्कारयुक्त संपन्नता के नए-नए कीर्तिमान रचेंगे, यही आज से भविष्य है।
सियावर रामचन्द्र जी की जय।
नीरज कुमार झा
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