पृष्ठ

शुक्रवार, 3 मई 2024

आँसू

पीड़ा किसे नहीं है और दुख से कौन अछूता है
सहानुभूति अधिकार सभी का, दायित्व भी  है

ऐसा नहीं हो कि कोई अपने आँसुओं को रोक ले
किसी का बहे आँसू तो कोई पोंछने वाला न मिले

मुसकाना-हँसना लोगों का खिल जाना है
इन फूलों को सींचता आँखों का आँसू है

नीरज कुमार झा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें