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बुधवार, 22 मई 2024

पहचान

पहचान की खोज में अधिकतर लोग अपनी पहचान खो देते हैं। ऐसे लोग छलावे की पहचान से काम चलाने की कोशिश करते हैं और सामान्य जीवन की सहजता को नष्ट कर देते हैं।

जो लोग प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते हैं, उनकी त्रासदी और भी गंभीर है। प्रसिद्ध व्यक्ति पुराना व्यक्ति नहीं रहा जाता है। प्रसिद्धि की एक अलग दुनिया होती है जिसमें प्रवेश पाने वाला व्यक्ति एक नया व्यक्ति होता है और नये व्यक्तियों के साथ होता है।

आदमी का लक्ष्य उसका स्व और स्वयं की स्थिति होना  चाहिए, लेकिन वह अपनी की बजाय एक सपने की दुनिया देखता है जिसमें उसके समेत सभी किरदार नए होते हैं, और वह उसे प्राप्त करने में लगा रहता है।

आदमी स्वयं रहकर और अपनी स्थिति में ही क्यों नहीं जीना चाहता है? उसे ही क्यों नहीं वह बेहतर बनाना चाहता है?

इसका कारण सामान्यतः लोगों के जीवन में अपमान और वंचना का अनुभव असह्य होना है। ऐसी स्थिति की व्याप्ति का इतिहास है।

हमें एक-दूसरे का सम्मान करना सीखना होगा। एक-दूसरे के काम आना होगा। एक-दूसरे की निजता स्वीकार और दूसरे की उपलब्धियों की सराहना करनी होगी। प्रत्येक व्यक्ति को यह भी ध्यान रखना होगा कि सफलता के अनुपात में उसकी विनम्रता भी बढ़े। उसे पता होना चाहिए कि आक्रामक सफलता पशुता का परिचायक है।

नीरज कुमार झा

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