पृष्ठ

रविवार, 19 मई 2024

आदमी हुक्म बजाता है

चेहरे पर मुखौटा है
मुखौटा ही बोलता है
मुखौटा ही सोचता है
मुखौटा ही बताता है
आदमी हुक्म बजाता है

नीरज कुमार झा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें