भूत में लिखित आख्यान (इतिहास) को सीधे पढ़ने से आप हिस्ट्री के दुष्चक्र से अपने बोध की रक्षा कर सकते हैं। बिना हिस्ट्री के पुराने साहित्य को पढ़ने के लिए समाज का गहरा अनुभव और समाजशास्त्र का गहन अध्ययन आवश्यक है। उदाहरण के लिए, गोस्वामी तुलसीदास की रामायण में सत्य की जीत दिखाई गई है लेकिन वास्तव में यह सत्य के लिए युद्ध का आह्वान है। महागाथा की पंक्तियाँ तुलसीदास की वेदना के सागर पर चमकती सूर्य की किरणें हैं। गोस्वामी की पीड़ा काल की विद्रूपता के बोध से जनित है।
नीरज कुमार झा
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